लेज़िक सर्जरी के बारे में सब कुछ

Eye Cosmetic Surgery Cost

लेसिक सर्जरी के बारे में सब कुछ

क्या है LASIK सर्जरी ?

लेसिक लेजर को “लेजर एसिस्टेड इन सिटू केराटोमाइलियसिस सर्जरी” भी कहा जाता है, जिसे दृष्टि संबंधी समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जाता है। लेसिक लेजर सर्जरी की मदद से नजर के चश्मे या कॉन्टेक्ट लेंस के नंबर को कम किया जाता है और कुछ मामलों में इनकी जरूरत ही नहीं पड़ती है।

सामान्य रूप से जब रोशनी कॉर्निया (आंख के ऊपर एक पारदर्शी परत) और लेंस के अंदर से गुजरती है, तो यह मुड़ जाती है और जिसका फोकस रेटिना पर पड़ता है। लेंस, प्युपिल के ठीक पीछे होता है, जो रोशनी को रेटिना पर डालता है। आंख के पिछले हिस्से में मौजूद ऊतकों की परत को रेटिना कहा जाता है। रेटिना में विभिन्न प्रकार की कोशिकाएं होती हैं, जो रोशनी व रंगों की समझती हैं और उन्हें संकेत में बदलकर मस्तिष्क तक भेजती हैं।

यदि आपकी आंख के कॉर्निया, लेंस या आंख की पुतली की आकृति सामान्य नहीं है, तो रोशनी का फोकस रेटिना पर नहीं हो पाता है और परिणामस्वरूप दृष्टि प्रभावित हो जाती है जैसे धुंधला दिखना या फोकस न कर पाना।

लेसिक सर्जरी को क्यों किया जाता है?

LASIK सर्जरी इन दृष्टि समस्याओं में सुधार करने में मदद करती है:

  • मायोपिया (दूर की कमज़ोर नज़र):

जब आपका आई बॉल सामान्य से थोड़ा लंबा हो जाता है । जिसके कारण प्रकाश किरणें रेटिना के सामने  इकट्ठी हो जाती हैं, इसलिए हमें दूर की चीज़ें धुंधली दिखाई देने लगती है।

  • हाइपरोपिया (पास की कमज़ोर नज़र):

हाइपरोपिया या दूरदृष्टि-दोष, दृष्टि से जुड़ी एक आम समस्या है जिससे मुख्य तौर पर बच्चे प्रभावित होते हैं।

  • धुंधली नज़र:

जब कॉर्निया मुड़ असमान रूप से मुड़ जाता है, तो इसके कारण लाइट के चारों ओर थोड़ा धुंधलापन दिखाई देने लगता है। इसकी वजह से पास और दूर की चीज़ें देखने में दिक्कत होती है।

इन समस्याओं से आमतौर पर निम्न लक्षण हो सकते हैं –

  • धुंधला दिखना
  • देखते समय धब्बे बीच में आना
  • दोहरा दिखना
  • सिरदर्द
  • देखने के लिए आंखों को सिकोड़ने की आवश्यकता पड़ना
  • चमकती रोशनी के आसपास अन्य चीजें जैसे (सितारे या प्रभामंडल) दिखना
  • आंखों पर जोर पड़ना
  • कंप्यूटर पर काम करते समय या पढ़ते समय फोकस न कर पाना

हालांकि, कुछ लोगों में कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देता है।

लेसिक लेजर सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?

यदि आपको निम्न में से कोई समस्या है, तो यह सर्जरी नहीं की जा सकती है –

  • गंभीर ग्लूकोमा
  • डायबिटीज नियंत्रित न हो पाना
  • आंखों में गंभीर रूप से सूखापन होना
  • मोतियाबिंद के कारण दृष्टि प्रभावित होना
  • पहले कभी आंख में गंभीर संक्रमण हुआ होना
  • कॉर्निया अत्यधिक पतला होना या शंकु की आकृति का होना
  • यदि आप गर्भवती हैं या फिर स्तनपान कराती हैं

सर्जरी के पहले

  1. आंखों का परीक्षण।
  2. कुछ समय के लिए कांटैक्ट लेंस नहीं पहनें।
  3. आंखों पर कोई मेकअप न करें।
  4. परफ्यूम और लोशन जैसी चीजों का इस्तेमाल कुछ समय के लिए न करें।

सर्जरी के दौरान

  1. यह सर्जरी ड्राप डालने के बाद ही होती है इसलिए इसमें बहुत दर्द नहीं होता है।
  2. एक आंख में 5 से 7 मिनट तक का वक्त लगता है।

चूंकि इलाज पूरी तरह से लेजर किरणों से होता है इसलिए किसी तरह का चीरा नहीं लगता है।

सर्जरी के बाद

  1. सर्जरी के बाद कम से कम एक महीने तक आंखों का खास ध्यान रखना पड़ता है।
  2. आंखों में जलन हो तो हर्गिज न मलें।
  3. समय पर टेस्ट कराते रहें।
  4. नहाते वक्त आंखों में पानी न आने दें।
  5. धूप में निकलने से बचें।

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